Saturday, January 8, 2022
किसानों की आड़ में चुनावी रैली
सितंबर महीने से लगातार 5 बार किसानों को किसान मेले के नाम से इकट्ठा किया जा रहा है, की किसान मेले में आओ और कृषि से संबंधित नई -नई तकनीकी की जानकारी लो और कृषि में सुधार हेतु व्याख्यान सुनो , इन 5 बार के किसान मेला के नाम से बहुत बड़ीऔर लंबी तैयारियां होती हैं ! किसानों को उनके गांव से मेला स्थल तक लाने में एक अलग ही महाभारत होती है ,एक तरफ किसान मेले में या संगोष्ठी में आने को तैयार नहीं होता दूसरी तरफ यदि वह आ भी जाता है तो उसके बाद के प्रश्नों का उत्तर देना बड़ा मुश्किल सा होता है! किसान सुबह से मेले में या संगोष्ठी में आ जाते हैं दिन भर उनको बिठाया जाता है बिना पानी बिना भोजन के, संगोष्ठी मे दिन भर फूहड़ गीत संगीत की धुन बस्ती वजती रहती है किसी को वह संगीत समझ में नहीं आता है और कोई उससे अनजान रहता है क्योंकि वह आज तक सिर्फ अपनी खेती बाड़ी में काम किया हुआ एक वर्ग है वह भला इन फूहड़ गीत संगीत को कैसे समझ समझेगा , लगभग 3:00 या 4:00 माननीय मुख्यमंत्री साहब आते हैं और अपने उद्बोधन सभी का स्वागत किया जाता है उस स्वागत भाषण में कहीं भी कृषक शब्द का उच्चारण नहीं होता है भले ही वह कृषक गोष्ठी एवं कृषक मेला है उस से भला उनको क्या करना उन्हें तो भीड़ दिखती है भले ही वह कैसी भी हो ! उनको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की इस भीड़ में अन्नदाता बैठा है या कोई और उनका उद्देश्य सिर्फ अपनी चुनावी रैलियों का लक्ष्य पूरा करना होता है, ऐसी घोषणाएं की जाती हैं जिनका उस किसान के जीवन में कोई सीधे लाभ है ही नहीं ,इन सब कृषक संगोष्ठी या मेलों में कोई कृषि तकनीकी या कोई कृषि यंत्रों की या कृषि उपज विपणन की कोई बात नहीं होती है ! भाषण होते हैं तो सिर्फ मूर्तियां बनाने की ,खेल ग्राउंड बनाने की ,सड़क बनाने की ! मुझे सबसे बड़ा पश्चाताप औरआश्चर्य तब होता है जब समापन में भी आए हुए किसानों को धन्यवाद तक नहीं कहा जाता दिन भर का भूखा प्यासा किसान हमारी ओर देखकर हाथ जोड़कर सीधे अपने घर को चला जाता है वह समझ ही नहीं पाता है की आखिर उसको यहां क्यों बुलाया गया दयनीय अनुभव!!....
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Nice
ReplyDeleteThis article exposed a harsh reality. Appreciable👏!
ReplyDeleteCongrats ma'am jiii
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