Friday, November 4, 2022

बूढ़ी दिवाली एवं तुलसा एकादशी

कुमाऊं की परंपरा के अनुसार आज के दिन कुमाऊं में बूढ़ी दिवाली  मनाई जाती है ,कोजागिरी पूर्णिमा से बूढ़ी दिवाली तक कुमाऊं में दिवाली के दिए जलते रहते हैं!

 कार्तिक महीने की एकादशी का दिन दीपावली का आखिरी दिन बूढ़ी Deepawali के रूप में मनाया जाता है ,माना जाता है कि आज दीपावली का पर्व पूरा हुआ !

आज ही के दिन आंगन में बनी ओखली ,मुसल और सूप मैं Aipen दिए जाते हैं और शाम को दीए जलाए जाते हैं और कहा जाता है आओ लक्ष्मी बैठो नारायण निकल  भुइया निकल निकल! 

सूप के भीतर की ओर लक्ष्मी नारायण की आकृति बनाई जाती है लेकिन बाहर की ओर Ghuyiya  की आकृति बनाते हैं Ghuyiya  की आकृति में दो  सिर और चार पैर बने होते हैं  इनका मुंह नहीं बनाया जाता है, गोल-  गोल घुमावदार आकृति कर सर बनाते हैं ! 

इस पर्व से हम सभी समझ सकते हैं कि  फसल कटने के पश्चात उत्पादन की कुटाई और सफाई में काम आने  वाले ओखली , मुसल और  सूप का पूजन करने के पश्चात जो फसल  उत्पादित हुई है उसकी  कुटाई एवं सफाई  करने के पश्चात और उस उत्पादन का भरपूर उपयोग  हम सभी कर सकते हैं!

विचारक 
पुष्पा जोशी 
4.11.2022
5:00pm