एक समय ऐसा भी था मेरे लालन पालन मे मुझे पोषित करने मे ध्यान दिया जाता था मुझे भरपूर पानी मिलता रहे इसकी चिंता सबको होती थी लेकिन जब मेरा प्रतिस्पर्धी बाज़ार में आया उस समय से मे अपने घर से ही बेघर होने लगा , मुझे प्रतिदिन के भोजन से अलग कर दिया मुझे मोटे अनाज की सैणी का दर्जा मिलने लगा ..
लेकिन आज भी मेरे ही आटे से साई , हलवा, सिंगल पूवे एवं खीर बनाने के लिए मुझे ढूढ़ने का प्रयास किया जाता है परन्तु अब मे बहुत कठिनाई से प्राप्त हो रहा हूं!
Pushpa Joshi
3.8.2023
11.18pm