Friday, January 14, 2022

कुमाऊं का लोक पर्व घुघुतिया त्यौहार मकर सक्रांति

मकर सक्रांति के पर्व पर स्नान का बड़ा ही महत्व है कुमाऊं में प्रत्येक व्यक्ति यह  प्रयत्न करता है की  मकर सक्रांति पर सरयू नदी के तट पर ,रामेश्वर तट पर ,काली नदी पर या शारदा नदी  के तट पर गंगा स्नान स्नान हो जाए तो इससे बड़ा और कोई पुण्य नहीं मिल सकता है ! जो नदी में स्नान न कर सके वह अपने घर में ही स्नान के समय गंगाजल का छिड़काव करते हैं  एवं स्नानादि के पश्चात सूर्य की उपासना करना विशेष फलदायक  माना  जाता है!  मकर संक्रांति से पूरे माघ महीने में कई महिलाएं  माघ का व्रत रखती हैं यदि कोई पूरे व्रत नहीं रख पाते हैं तो 3 दिन तक व्रत रखकर भगवान की उपासना करती हैं जिसको Tirmaghi  व्रत भी कहा जाता है ! तत्पश्चात खिचड़ी का भोग निकालकर दान किया जाता है एवं खिचड़ी ही घर में भोजन स्वरूप खाई जाती है !शाम के वक्त कुमाऊं के हर घर में घुघुतिया बनाई जाती है जिसमें आटे में गुड़ के पानी दूध अजवाइन एवं मोहिन मिलाकर आटे को गुथा जाता है ! फिर आटे से अलग-अलग प्रकार की आकृतियां  बनाई जाती हैं जिसमें ढाल, तलवार ,डमरु, घुघूती , एवं उड़द दाल के बड़े होते हैं इनको फिर तेल में तला जाता है !   तल लेने के बाद इनकी माला बनाई जाती है, माला के बीचो बीच में संतरा पीरो दिया जाता है!  अगले दिन सुबह बच्चे यह माला को पहनकर कव्वे को बुलाते हैं और कौवे से आग्रह किया जाता है कि वह मेरी माला के डमरु, ताल ,तलवार ,और बड़े को ले जा और मुझे इसके बदले में उपहार के रूप में सोने का डमरु तलवार और ढाल देकर जा !  अपने समय में जब हम बच्चे थे  घुघुतिया बनाने का बहुत ही उत्साह रहता था एक बच्चा कम से कम अपने हिस्से में 100  घुघुतिया बनाता  था ! प्रत्येक घर में  घुघुतिया की माला बनाकर पूरे गांव में एक दूसरे को साझा की जाती थी लगभग 15 से 20 दिन तक यह माला एक घर से दूसरे घर मैं जाने का सिलसिला चलता रहता था एवं घुघूती की माला से एक दूसरे के घर की बनी मित्रता को एक विश्वास के  डोर में बांधने का संकेत प्रकट करती हे  घुघुतिया की माला!!!!!  

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