आज भी लगता है कि जब महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं ,प्रत्येक क्षेत्र में सम्मान दिया जा रहा है, पद की गरिमा दी जा रही है, इस आधुनिक युग में फिर क्यों एक विशेष दिन की जरूरत हमको पड़ी पड़ रही है हमारे लिए तो हर दिवस हमारे हैं . हम यह नहीं कह सकते हैं कि हमारी आवाज नहीं सुनी जा रही है हां एक काल जरूर था जब महिलाओं के लिए विशेष अधिकारों की बात की जानी आवश्यक हो गई थी.
आज सरकार की कोई भी योजनाएं महिलाओं के बिना संभव नहीं आकी जाती है.
कोमल है कमजोर नहीं तू शक्ति का नाम ही नारी है जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है.
इसलिए राह संघर्ष की हम चुनें जिंदगी आंसुओं में नहायी न हो शाम सहमी न हो, रात हो न डरी भोर की आँख लिर डबडबाई न हो.
दरिया की कसम मौजों की कसम यह ताना बना बदलेगा तू खुद को बदल तू खुद को बदल तब ही तो जमाना बदलेगा.
वस्त्र से नहीं विचारों से स्वतंत्र होना आवश्यक है
Faith
Pushpa Joshi
8.3.2024
16:40
Good post
ReplyDeleteBeautifully encapsulates the journey of women's empowerment and the evolving role of women in society.
ReplyDeleteGreat